न्यूज़ यूपी 24x7।मेरठ।संपादक अजय चौधरी। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के राजनीति विज्ञान विभाग एवं भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वावधान में सात दिवसीय ई-कार्यशाला "उच्च शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों" विषय पर आयोजित ई-कार्यशाला के छठे दिन डॉ राजेंद्र कुमार पांडेय सहचार्य राजनीति विज्ञान विभाग ने अतिथियों का स्वागत एवं परिचय कराया।
डॉ राजेंद्र कुमार पांडेय ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि वर्तमान समय सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का है इसलिए शिक्षणेत्तर जगत को भी इससे अपरिचित नहीं रहना चाहिए क्योंकि वर्तमान समय में जो परिस्थितियां चल रही है ऐसे समय में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का महत्त्व एवं प्रयोग और अधिक बढ़ गया है।
हमारे देश के विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों को अध्ययन अध्यापन सुचारू रूप से जारी रखने के लिए तकनीकी ज्ञान-विज्ञान से परिचित होना चाहिए और उसके निर्माण एवं प्रयोग की विधि भी उनको आनी चाहिए जिससे वह वर्तमान समय में या आगामी संकटकाल में विद्यार्थियों तक ज्ञान-विज्ञान का आदान-प्रदान आसानी से कर सकें और ऐसे सॉफ्टवेयर का निर्माण करें जिनके प्रयोग की विधि सरल सुगम हो और समाज के सभी वर्गों एवं क्षेत्रों से जुड़े हुए विद्यार्थी भी उसका लाभ उठा सकें ऐसे संसाधनों के निर्माण करने के लिए शिक्षकों विद्यार्थियों ऑनलाइन टीचिंग एंड लर्निंग प्रदाता कंपनियों को इस पर गहनता से विचार एवं सुदृढ़ता से कार्य करना होगा तभी जाकर समाज के सभी वर्गों के विद्यार्थियों को लाभ प्राप्त हो सकता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में बहुत सारे सॉफ्टवेयर एवं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मौजूद है लेकिन उनका केंद्रीकरण शहरी क्षेत्रों में ही अधिक है जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्र एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में संचार की उचित व्यवस्था एवं साधन उपलब्ध ना होने के कारण उस क्षेत्र के विद्यार्थी ऑनलाइन टीचिंग एंड लर्निंग का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं इसके लिए हमारे शिक्षक जगत एवं सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी कंपनीयों को कार्य करना होगा कि किस तरह सभी वर्गों के विद्यार्थियों तक शिक्षा पहुंच सकें।
ई-कार्यशाला के मुख्य वक्ता प्रोफेसर गौरव सिंह वरिष्ठ आचार्य शिक्षा संकाय विभाग इग्नू नई दिल्ली ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी में मूल्यांकन यंत्र की भूमिका एवं अनुप्रयोगों विषय पर बोलते हुए कहा कि ऑनलाइन टीचिंग एंड लर्निंग में शिक्षक विद्यार्थियों को विषय से संबंधित व्याख्यान अध्ययन अध्यापन की विषय वस्तु उपलब्ध करा देते है लेकिन इसका पता हमें कैसे कर पाएंगे विद्यार्थी ने कितना ज्ञान उस व्याख्यान या अध्ययन अध्यापन की सामग्री से ग्रहण किया है और उसको वह विषय कितना समझ में आ गया है क्योंकि कोविड-19 महामारी से पहले हमारे विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों में क्लासरूम प्रोग्राम के तहत अध्ययन अध्यापन कार्य के बाद परीक्षाएं कराई जाती थी
जिसके द्वारा यह ज्ञात हो जाता था कि विद्यार्थी को वह विषय समझ में आया है और उसने कितना ग्रहण किया है लेकिन वर्तमान समय में प्रत्यक्ष रूप से शिक्षणेत्तर कार्य बंद है इस समय में हम विद्यार्थियों का मूल्यांकन किस प्रकार करें एवं उनकी परीक्षा किस प्रकार आयोजित कराई जाए यह एक चुनौती है। उसके लिए हमें ही मूल्यांकन सॉफ्टवेयर्स के बारे में जानना होगा और उनके कार्य विधि के बारे में समझना होगा कि उनका प्रयोग हम विद्यार्थियों के मूल्यांकन में किस तरह कर सकते हैं ऐसा नहीं है कि वर्तमान समय से पहले भारत में ई-मूल्यांकन नहीं किया जाता विभिन्न विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थाओं द्वारा जैसे कि यूजीसी एनटीए एवं अन्य आयोगों द्वारा ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित की जाती रही है लेकिन उनका रूप वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का रहा है
जबकि वर्तमान समय में छात्रों का संपूर्ण मूल्यांकन वर्णनात्मक रूप में किस तरह करें इसके लिए हमें ई-मूल्यांकन सॉफ्टवेयर्स के बारे में जानना एवं उनके प्रयोग के बारे में सीखना होगा कि हम क्वेश्चंस का निर्माण किस प्रकार कर सकते हैं एवं विद्यार्थी उनके उत्तर आभासीय तकनीक के द्वारा किस प्रकार दे सकते हैं जैसे कि वर्तमान समय में देश के कुछ विश्वविद्यालय ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित कराने की बात कर रहे हैं और उसकी रूपरेखा पर कार्य भी कर रहे हैं
लेकिन इन परीक्षाओं के आयोजन की विधि एवं रूपरेखा क्या हो इसके बारे में अभी हमारा शिक्षक वर्ग एवं विद्यार्थी वर्ग ज्यादा परिचित नहीं है। उन्होंने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रतिभागियों को ई-मूल्यांकन के बारे में बताया और किस तरह से परीक्षा के लिए क्वेश्चन पेपर सेट कर सकते हैं और उसकी पूरी रूपरेखा को प्रदर्शित भी किया और साथ ही साथ स्वयं प्रतिभागियों के द्वारा ही ई-मूल्यांकन की कार्यविधि का व्यावहारिक रूप में प्रयोग भी करवाया और उसके निर्माण की विधि को सरल सुगम एवं विस्तार रूप से बताया उन्होंने वर्तमान समय में ई-मूल्यांकन के लिए कौन कौन से सॉफ्टवेयर उपलब्ध है जो बिना किसी मूल्य के और कुछ मूल्य देकर मिलते हैं जिनका प्रयोग हम ई-मूल्यांकन में कर सकते हैं उनके बारे में भी बताया।
प्रोफ़ेसर पवन कुमार शर्मा ने अतिथियों का कर्मचारियों का पत्रकार बंधुओं का एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।ई-कार्यशाला में सहयोग प्रो पवन कुमार शर्मा प्रो प्रदीप कुमार शर्मा डॉ राजेंद्र कुमार पांडेय डॉ भूपेंद्र प्रताप डॉ सुषमा डॉ देवेंद्र उज्जवल डॉ जयवीर राणा डॉ अशोक पवार संतोष त्यागी नितिन त्यागी भानु प्रताप आदि का रहा।


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