न्यूज़ यूपी 24x7|मेरठ| मेरठ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एमआईईटी) के कंप्यूटर साइंस विभाग में चल रही पांच दिवसीय वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का समापन किया गया।
वर्चुअल कॉन्फ्रेंस कंप्यूटिंग और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का भविष्य विषय पर आधारित रही। कांफ्रेंस के अंतिम दिन अमेरिका की यूनिवर्सिटी से डॉ मार्क एल मिलर, डॉ अडेल एस एलेमगराबी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ अफ्रीका से डॉ अर्नेस्ट म्नकंदला,वूसोंग विश्वविद्यालय दक्षिण कोरिया से डॉ मधुसूदन सिंह, आईबीएम के जोखिम और अनुपालन हेड से नीरज गुप्ता, दक्षिण यूराल स्टेट यूनिवर्सिटी रूस से डॉ सचिन अग्निहोत्री, वैज्ञानिक डॉ अरिजीत रॉय, एमआईईटी ग्रुप के वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल उपस्थित रहे।
अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के अंतिम दिन विभिन्न देशों से शिक्षाविदों ने डीप लर्निंग, मशीन लर्निंग, डाटा साइंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचैन मैनेजमेंट, आदि तकनीकी पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ मार्क एल मिलर ने कहा की पिछले तीन दशकों में जीवन के हर क्षेत्र में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सेवाओं का काफी विस्तार हुआ है। वैश्विक महामारी करोना मैं ई-शिक्षा ने अपने पैर बड़े-बड़े शहरों से लेकर छोटे-छोटे गांव तक फैला दिए हैं। ई-शिक्षा की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि छात्र अपनी सहूलियत के हिसाब से किसी भी समय और कहीं पर भी अपना शैक्षिक कार्य कर सकते हैं।
अर्थात इस शैक्षिक व्यवस्था में समय और स्थान की कोई पाबंदी नहीं है। ई-शिक्षा के माध्यम से छात्र वेब आधारित स्टडी मटीरियल को अनिश्चित काल तक एक्सेस कर सकते है और बार-बार देख कर इसके जटिल पहलूओं को समझ सकते हैं। ई-शिक्षा के माध्यम से पढ़ाई करना काफी हद तक कम लागत वाली होती है। क्योंकि छात्रों को पुस्तकें या किसी दूसरे स्टडी मटीरियल पर पैसा खर्च नहीं करना पड़ता है।
एमआईईटी से चैयरमेन विष्णु शरण अग्रवाल, वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल, निदेशक डॉ मयंक गर्ग, डीन एकेडमिक डॉ डीके शर्मा, एचओडी प्रदीप पंत, डॉ विमल कुमार, मुकेश रावत, शाश्वत पाठक, विश्वास गौतम, अजय चौधरी आदि मौजूद रहे।

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