संपादक अजय चौधरी
मेरठ। भारतीय समाज में नारी आदर्श पर संस्कारों की मूर्ति होती है। नारी के बिना समाज की परिकल्पना करना असंभव है। हमारे इतिहास में अनेक नारियों की वर्णन है। जिन्होंने समाज को नई दिशा देने का काम किया है। जिस समाज में समानता के लिए कानून की सहायता लेनी पड़े वो समाज एक सभ्य और विकसीत समाज नहीं हो सकता। भारतीय समाज में नारी के समानता हेतु आर्थिक सुदृढ़ता महत्वपूर्ण है
जिसके लिये महिलाओ का शिक्षित एवं रोजगार में संलग्न होना जरूरी है। यह बात चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति ने विधि अध्ययन संस्थान, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर, मेरठ में विधिक सेवा केन्द्र द्वारा बालिकाओं के जन्म एवं शिक्षा का अधिकार विषय पर आयोजित सेमिनार के दौरान कही। मुख्य वक्ता ऐके तिवारी (सेवानिवृत) जिला जज बांका बिहार रहे । नारी सशक्तिकरण के लिए संविधान में अनेक प्रावधान दिए गए है। केवल जानकारी के अभाव में वह इसका पालन नहीं कर पाती हैं। इसीलिए अधिकारों के विषय में नारी का जागरूक होना बहुत ही आवश्यक है। जिस दिन नारी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गई तो वर्तमान में नारियों पर जो अत्याचार होते हैं वह समाप्त हो जाएंगे। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कुलदीप सिंह ने किशोर अपचारिकता अधि॰ और विधिक सेवा प्राधिकरण की कार्यशैली पर अपने विचार प्रस्तुत किये ।
कार्यक्रम की रूपरेखा एवं विषय पर डॉ कुसुमावति ने अवगत कराया तथा डॉ विकास कुमार नोडल अधिकारी ने गत शैक्षणिक वर्ष की विधिक सेवा केन्द्र की आख्या प्रस्तुत की। संचालन डॉ अपेक्षा चौधरी ने किया तथा श्रीमति सुदेशना (समन्वयक विधिक सेवा केन्द्र) ने अतिथियों का परीचय कराया। संस्थान के समन्वयक डॉ विवेक कुमार ने कहा की हमें बेटियों की दशा सुधारने हेतु अपने निकट सम्पर्क और समाज के लिये कार्य करना होगा। कार्यक्रम में डॉ धनपाल, डॉ महिपाल, डॉ सुशील कुमार शर्मा, डॉ रौनक खान, डॉ मीनाक्षी, शेख अरशद, अपूर्व मित्तल, मितेन्द्र कुमार गुप्ता, तथा संस्थान के छात्र-छात्राऐं भी उपस्थित रहे।


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