नई शिक्षा नीति शिक्षा नीति प्राइवेट निजी स्कूलों
की विजय गाथा है, तथा सरकारी स्कूलों की असफलता की कहानी है: विष्णु शरण
NEWSUP24X7| शिक्षा
का मतलब होता है, ज्ञान और ज्ञान हम सभी को ना केवल संपूर्ण मानव बनाने में सहायक है,
बल्कि एक सभ्य समाज के निर्माण और मानवता को उसका अर्थ बताने में पूरी तरह से सक्षम
है । किसी भी देश का भविष्य वहां के बच्चों को मिलने वाली प्राथमिक शिक्षा पर निर्भर
करता है । प्रारंभिक शिक्षा जिस प्रकार की होगी उसी प्रकार से देश का भविष्य भी निर्धारित
होगा । इसी क्रम में भारत सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार किया
। जिसका उद्देश्य शिक्षा से सभी वर्गों को जोड़ना था, लेकिन नई शिक्षा नीति ने सभी
स्कूल प्रबंधकों को असुरक्षित, क्रोधित और मानसिक उत्पीड़न जैसी भावनाएं झेलने पर मजबूर
कर दिया है । नई शिक्षा नीति को लागू करने में असमर्थ और समस्याओं को लेकर कंकरखेड़ा
बाईपास स्थित कृष्णा पब्लिक स्कूल में अखिल भारतीय शिक्षा सशक्तिकरण महासंघ द्वारा
एक विशेष सभा का आयोजन हुआ ।
इस दौरान
मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद डॉ अनिल अग्रवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष लियाकत अली, वरिष्ठ
राज्य उपाध्यक्ष संजीव चौधरी, उपाध्यक्ष सतपाल वर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष रविंद्र सिंह,
जिला अध्यक्ष रोहित सिंह, , मेरठ सहोदय स्कूल एवं मेरठ स्कूल फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी
राहुल केसरवानी, आदि वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मेरठ स्कूल
फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ विष्णु शरण अग्रवाल ने की ।
कार्यक्रम
की अध्यक्षता कर रहे विष्णु शरण अग्रवाल ने 18 जिलों से आए सभी स्कूल प्रबंधकों और
वरिष्ठ पदाधिकारियों का स्वागत करते हुए कहा कि जिस प्रकार नई शिक्षा नीति का प्रारूप
तैयार किया है, उससे सभी प्राइवेट स्कूल असुरक्षित और समस्याओं से घिर गए हैं, उन्होंने
नई शिक्षा नीति के अध्याय 7.7.1 के पेज 173 को पढ़ते हुए बताया कि इसमें लिखा है, कि
स्कूल प्रबंधन समिति का पूर्ण गठन किया जाए और समिति में स्कूल के किन्ही भी दो बच्चों
की माताएं, दो अध्यापक, एक प्रिंसिपल, स्कूल का पूर्व छात्र, पंचायत सभा का सदस्य,
समाजसेवी होने चाहिए । स्कूल के प्रबंधकों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा और किसी भी प्रकार
के स्कूल निर्णय लेने का अधिकार समिति का होगा ।
दूसरे
बिंदु पर चर्चा करते हुए कहा कि बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम
(आरटीई) के तहत अब 3 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चे आएंगे । जिसमें प्री-प्राइमरी कक्षा
से 12वीं कक्षा तक के बच्चे शामिल होंगे । इस बिंदु पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने
कहा कि इस खंड से हमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा छात्र
मुआवजा मात्र 5 हज़ार चार सौ रुपए आता है, जो सभी राज्यों की तुलना में बहुत कम है इसे
बढ़ाकर 36 हज़ार 7 सौ रुपए कर दिया जाए जिससे स्कूलों पर कोई दबाव ना बने ।
अंत
में विष्णु शरण अग्रवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति शिक्षा नीति प्राइवेट निजी स्कूलों
की विजय गाथा है, तथा सरकारी स्कूलों की असफलता की कहानी है
मुख्य
अतिथि राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल ने कहा सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट
जो तैयार किया गया है, उससे सभी स्कूलों को क्षति पहुंच रही है। सांसद ने सभी जिलों
के स्कूल के प्रबंधकों को आश्वासन दिया कि उनकी सभी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाएंगे
और नई शिक्षा नीति में जो उचित संशोधन हो सकता है उसे मजबूती से कराएंगे ।
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