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Tuesday, June 23, 2020

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति ने दिये कोरोना से बचने के सात सूत्र




  • कुलपति स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान
  • कोरोना से बचने के लिए कुलपति ने दिये सात सूत्र
  • कई चरणों में चलाया जाएगा यह अभियान
  • विश्वविद्यालय में काम करने वाले शिक्षक व कर्मचारियों का कराया जाएगा स्वास्थ्य परीक्षण  








न्यूज़ यूपी 24x7।मेरठ। संपादक अजय चौधरी। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति जी के आहवान पर विश्वविद्यालय में कुलपति स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान की शुरूआत की गई है। इसका मुख्य उददेश्य विश्वविद्यालय के समस्त कर्मचारियों को कोरोना जैसा महामारी से बचाना तो ही है साथ ही अपनी पुरानी संस्कृति की ओर ध्यान आकर्षित करना है। माननीय कुलपति का कहना है कि हिन्दुत्व धर्म नहीं जीवन शैली है। 

भारतीय संस्कृति हमेशा से ही श्रेष्ठ रही है। लेकिन पाश्चात्य संस्कृति की आपनाने के चक्कर में हम अपनी संस्कृति को भूल गए। जबकि पूरी दुनिया भारतीय संस्कृति को अपना रही है। कोरोना जैसी महामारी में केवल भारतीय संस्कृति को अपनाकर ही बचाव किया जा सकता है। इस अभियान की जिम्मेदारी माननीय कुलपति जी ने प्रतिकुलपति प्रोफेसर वाई विमला के निर्देशन में जन्तु विज्ञान विभाग को सौंपी है।

1- नमस्ते जैसा भारतीय अभिवादन ही श्रेयस्कर
भारतीय संस्कृति में हाथ मिलाने की परंपरा कभी नहीं रही। हम हाथ जोडकर सभी का अभिवादन किया करते थे। यही हाथ जोडने की परंपरा ही कोरोना जैसी महामारी में काम आ रही है। इस समय हम किसी से हाथ नहीं मिला रहे दूर ही हाथ जोडकर सभी अभिवादन स्वीकार कर रहे हैं।

2- भारतीय संस्कृति में घर में जूते चप्पल ले जाने की परंपरा नहीं थी। हम घर के बाहर ही अपने जूते या चप्पल उतार दिया करते थे। उसके बाद बाहर ही लगे नल पर हाथ पांव धोकर ही घर के अंदर प्रवेश करते थे। कोरोना महामारी में ही अब घर के बाहर अपना सारा सामान रखकर घर के अंदर प्रवेश करते हैं।

3- नीम का पत्ते का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व बताया गया हैं। पहले हमारे घरों नीम की पेड जरूर होता था। नीम की ही हम दातून किया करते थे। किसी प्रकार की चर्म रोग होने पर नीम के पानी से स्नान किया करते थे। कान में दर्द या शरीर में कोई दर्द होने पर नीम के तेल की मालिश किया करते थे।

4- भारतीय संस्कृति में दिन में दो बार स्नान किया करते थे। एक तो सुबह स्नान करके पूजा पाठ किया करते थे। और दूसरी बार शाम को स्नान करके संध्या किया करते थे। कोरोना महामारी में भी हम बाहर से आने के बाद स्नान कर रहे हैं।

5- हमारी संस्कृति में बासी भोजन को कोई महत्व नहीं था। हमारे घरों में हमेशा में ताजा भोजन बनता था और उसको हम खाते थे। तीनो समय हमारे घरों में ताजा भोजन ही बनाया जाता था। यदि घर में भोजन बच जाता था तो वह हम घर में पल रहे पशुओं को दे देते थे।

6- पूराने रीति रिवाजों को यदि हम देखे तो हम लोग घर के बाहर ही तालाब या फिर नदी में कपडे को घोते थे। घर के अंदर कभी कपडे नहीं धोये जाते थे। कोरोना महामारी में भी हम प्रयास करते हैं कि घर के अंदर नहीं बल्कि बाहर ही आंगन आदि में कपडे को धोया जाए।

7- भारतीय संस्कृति में योग का बहुत महत्व है। योग के माध्यम से हम अपनी श्वसन क्रिया को मजबूत किया करते थे। इसके अलावा योग करने से शारीरिक मजबूती भी आती है। कोरोना सबसे पहले श्वसन तंत्र ही हमला करता है। इसलिए योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाए और प्रतिदिन योग करें।

माननीय कुलपति जी के आहवान पर कुलपति स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान की शुरूआत की है। इस अभियान को हम इसके कई चरणों में चलाएंगे। इसमें विश्वविद्यालम में काम करने वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य परीक्षण भी करेंगे। कुलपति जी ने पहले चरण में शिक्षक व कर्मचारियों को कोरोना से बचने के लिए सात सूत्र का पालन करने का आहवान किया है।



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