- एमआईईटी में कंप्यूटिंग और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के भविष्य पर हुआ वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन-डॉ विनीत कंसल
न्यूज़ यूपी 24x7।मेरठ। संपादक अजय चौधरी। मेरठ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एमआईईटी) के कंप्यूटर साइंस विभाग में तीन दिवसीय आई.ई.ई.ई द्वारा वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान वर्चुअल कॉन्फ्रेंस का विषय कंप्यूटिंग और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का भविष्य रहा।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि एकेटीयू, लखनऊ के प्रो वाइस चांसलर डॉ विनीत कंसल, टीसीएस कंपनी के साइबर सिक्योरिटी हेड प्रसेनजित दास यूनिवर्सिटी ऑफ़ लुइसविल अमेरिका से डॉ अडेल एस एलेमगराबी , मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर डॉ राकेश कुमार आदि ने किया। एमआईईटी ग्रुप के वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सम्मिलित सभी अतिथियों का स्वागत किया।
एकेटीयू लखनऊ के प्रो वाइस चांसलर डॉ विनीत कंसल ने कहा इंटरनेट ऑफ थिंग्स वास्तव में डिवाइसों का जोड़ है, जो इंटरनेट के संपर्क में रहकर संवाद करते हैं। डिवाइस सहजता से डाटा साझा करते हैं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। इस सेक्टर में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। इंटरनेट और मोबाइल ने दैनिक जीवन के कार्यों को सुगम बना दिया है।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ लुइसविल अमेरिका से प्रोफेसर डॉ अडेल एस एलेमगराबी ने कहा कि कोरोनावायरस जैसी महामारी के कारण आज के दैनिक जीवन में डिजिटल तकनीक को अपनाने से कोई अछूता नहीं है। अगर एक दिन इंटरनेट बंद कर दिया जाये तो बहुत से काम भी रुख जाते है। तकनीक का खेल भविष्य में वर्चुअल हो जाएगा। बेतार तकनीक पिछले पचीस बरस में कदम बढ़ा कर ब्लैक बोर्ड और चाक से अब वर्चुअल क्लासेज तक पहुंच गई है। इसने कार्यालयों में फाइलों के बोझ को नन्ही पेन ड्राइव में बदल दिया है। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कभी मनुष्य इंटेलिजेंस से बराबरी नहीं कर सकती और ऐसी क्रम में शोधकर्ता एवं इंजीनियर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मानव इंटेलिजेंस से बराबरी करने में मशक्कत करते हैं।
टीसीएस कंपनी के साइबर सिक्योरिटी हेड प्रसेनजित दास ने साइबर सुरक्षा के बारे में बताते हुए कहा की जिस तरह से साइबर खतरों की गति बढ़ती जा रही है, उसी तरह लोगों की इन हमलों से बचने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। आज के समय में कम से कम 1 मिल्यन नौकरियाँ साइबर सुरक्षा के लिए पूरे विश्व में खाली है। आईटी प्रोफेशनल और कम्प्युटर विशेषज्ञ इस तरह की साइबर सुरक्षा की नौकरियों के लिए जा सकते हैं।
इस दौरान मार्क दमरून चेयरमैन आईईईई, डॉ एस डी सुदर्शन, डॉ विशाल कुमार कॉन्फ्रेंस चेयर मौजूद रहे । एमआईईटी से डॉ विमल कुमार, प्रदीप पंत, मुकेश रावत, सारस्वत पाठक आदि मौजूद रहे।

No comments:
Post a Comment