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Thursday, July 2, 2020

सीसीएसयू के हिंदी विभाग में प्री० पीएच० डी० कोर्स वर्क जुलाई 2020 की ऑन लाइन कक्षाएँ हुई प्रारम्भ





न्यूज़ यूपी 24x7|मेरठ| संपादक अजय चौधरी| हिंदी विभाग में  प्री० पीएच० डी० कोर्स वर्क जुलाई 2020 की ऑन लाइन कक्षाएँ प्रारम्भ हुई।  उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि : प्रो० राम सजन पाण्डे, माननीय कुलपति, बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, हरियाणा ने कहा  कि   शोध जीवन की व्याख्या है इस रूप में  शोध अध्ययन की सार्थकता जीवन से उसका जुड़ाव है।   शोध कार्य मानवता से जुड़े होने चाहिए।  क्या, क्यों, कैसे  की अवधारणा से शोध प्रक्रिया नियमित होती है और  शोथ स्वरुप को निर्धारित करती है। 

 नवीन ज्ञान के लिए किया गया  प्रयास  ही शोध है। काव्य प्रयोजनों पर बात करते हुए उन्होंने शोध के प्रयोजनों की चर्चा की। मध्यकाल में रीति काल के साहित्य पर पुन: शोध की आवश्यकता है कविता संकेतों की भाषा है संकेतों को जब तक नहीं पकड़ेंगे उसकी व्याख्या नहीं करेंगे तब तक शोध की विषय वस्तु के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। मेघदूत, विद्यापति. प्रसाद केज्ञान के विस्तृत क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो उसके दीनता के साथ नया बोध  छोड़ना होगा  और उन्हें ज्ञान के अनंत आकाश  के साथ नहीं जोड़ा । 



देशकाल का ध्यान रखना चाहिए शोध प्रयोग के अनुसार अपना स्वरूप बदलता है नैतिक मूल्यों का अध्ययन भी साहित्य में होता है भारत की तमाम भाषाओं के संदर्भ में काम अधूरा है।  खड़ी बोली सा आधार भूत डेटा  का संग्रह हमारे पास नहीं है।  

दुनिया की छोटी से छोटी भाषाएं है, उनका भी डेटा है हिंदी में ७५ वर्ष लग आजादी  के बाद हिंदी समुदाय को आगे को आना चाहता हूँ।  शोध प्रश्नों पर बात  की और कहा कि कोई शोध प्रश्न आवश्यक होना चाहिए।  रंगबोध ,बागवानी,फोटोग्राफी, भोजन  जैसे कई  अनछुए बिषय  है जिनपर नए तरीके से  साहित्य में शोधकार्य किया  जाना चाहिए।



विशिष्ट अतिथि : प्रो० हनुमान प्रसाद शुक्ल, माननीय प्रति कुलपति , महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय विद्यापीठ ने  शोध प्रबंध लेखन  की  प्रविधि एवं प्रक्रिया की विस्तृत रूपरेखा पर चर्चा करते हुए शोध विषय चयन से लेकर शोध प्रबंध लेखन तक की बारीकियों पर   चर्चा की। शोध प्रबंध लेखन एक साधना है। शोध प्रबंध लेखन की शुरुआत करने से पूर्व एक शोध प्रश्न हमारे मस्तिष्क में अवश्य होना चाहिए वही शोध प्रश्न शोध का प्रस्थान बिंदु होता है। 

शोध प्रश्न ही वह बीज है जो शोध प्रबंध के रूप में पल्लवित होता है ।  शोधार्थी के समक्ष अध्ययन के दौरान अनेक प्रश्न उत्पन्न होते हैं  और  यही शोध प्रश्न ही है जो शोधार्थी के अंदर बेचैनी उत्पन्न करते हैं चूँकि  बेचैनी शोध की बुनियादी शर्त है और इसी बेचैनी के साथ खड़ा होता है शोध प्रश्न । 

शोध के समूचे न्यास में शोध विषय का महत्वपूर्ण भूमिका होती है और शोध विषय का चयन ही इस शोध प्रश्न के साथ आगे बढ़ता है। 

शोध विषय के बाद शोध परिकल्पना की  निर्मिती की जाती है जहां हम अपने शोध के प्रस्तावित रूप का पूर्वानुमान करते हैं इसके लिए साहित्य पुनर्विलोकन को ध्यान में रखना चाहिए इसके लिए साहित्य का पुनरावलोकन करना अनिवार्य है ।साहित्य पुनर्विलोकन स्पष्ट होना चाहिए ।   शोध विन्यास में शोध के विषय को केंद्रीय विषय तक पहुंचाया जाता है। 

शोध के तकनीकी पक्ष पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शोध डिजाइन शोध का महत्वपूर्ण अंग है और अध्याय का वर्गीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए शोधार्थी को सावधानी बरतनी पड़ती है शोध संदर्भ सूची मानक तय नियमों के अनुरूप होनी चाहिए विद्यार्थी को यहां विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।

आगे चर्चा करते हुए उन्होंने पाठन सामग्री संकलन रूपांतरण तुलनात्मक साहित्य की बात की और शोध के क्षेत्र और प्रकारों पर प्रकाश डाला भाषा शोध का अहम हिस्सा होती है शोध की आत्मा होती है शोध के कलेवर में भाषाई सौंदर्य का अलग महत्व है  क्योंकि शब्दों का मजबूत और परिपक्व होना शोध प्रबंध लेखन के लिए  अनिवार्य है


 भाषाओं को सीखने के संदर्भ में उन्होंने तुलनात्मक शोध के महत्व को भी रेखांकित किया ।

कार्यक्रम संयोजक : प्रो० नवीन चंद्र लोहनी ने सभी आगंतुक प्री पीएचडी के विद्यार्थियों को उनके आगामी शैक्षणिक सत्र की शुभकामनाएं दी और कार्यक्रम के आरंभ में अपने सभी आमंत्रित वक्ताओं का परिचय दिया उनका स्वागत किया उन्होंने कहा कि  शोध के लिए जिन मानकों और शर्तों को हम जानने और समझने के इच्छुक होते हैं शोध करते समय जो प्रश्न हमारे जहन में उपस्थित होते हैं उन सभी प्रश्नों का उत्तर  इन व्याख्यानों के माध्यम से मिल सकता हैं। 

आज इस कक्षा के उद्घाटन के अवसर पर उन्होंने यह कहा कि शोध और उसकी सैद्धांतिक  एवं तकनीकी पक्ष पर चर्चा जरूरी है । शोध लेखन मे  तकनीकी बारीकियों का ज्ञान शोधार्थी को होना आवश्यक है   

इन व्याख्यान  के माध्यम से इन्हें समझा जा सकता है ताकि शोध का मार्ग सुगम हो सके । कार्यक्रम के अंत मे उन्होंने अपने सभी विद्यार्थियों को  उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी तथा आमंत्रित वक्ताओं को. धन्यवाद  दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हिंदी विभाग पहला विभाग है जहां प्री पीएचडी कक्षाएं ऑनलाइन प्रारंभ हो गई है इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन का धन्यवाद अदा किया।


 उद्घाटन व्याख्यान में  डॉ० अंजू , शैलेश जोशी, प्री० पीएच० डी० कोर्स वर्क के विद्यार्थी अभिषेक सिंह , अमर पाल , अमित कुमार सिंह , अमरीश कुमार , आयुष शर्मा, अनीता , बबिता, छवि , गीता,  गुंजन, खुशबु , कंचन ,   रानी , कुलदीप , राजेश कुमार,  संदीप कुमार , नरेंद्र कुमार,  ममता , प्रीति , निरंजन , नीलम , शुभम , श्याम सिंह , सोनिया , योगेंद्र सिंह , योगेश कुमार,  विनय आदि छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे



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