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Friday, June 18, 2021

वियतनाम में संघमाता डा. मुक्ति भटनागर के लिये महायानी बौद्ध भिक्षुओ ने की प्रार्थना

News U.P 24x7 | Editor Ajay Chaudhary
मेरठ। सुभारती ग्रुप की संस्थापिका संघमाता डा.मुक्ति भटनागर के लिये वियतनाम के बौद्ध मंदिर ‘गिया होई फ़ा जियो‘ में वियतनाम बुद्धिस्ट विश्वविद्यालय के कुलपति व बौद्ध विद्वान डा. थिक ना थू के नेतृत्व में महायानी बौद्ध भिक्षुओं ने विशेष प्रार्थना की। वियतनाम से कार्यक्रम लाइव प्रसारित किया गया। जिसमें महायानी बौद्ध भिक्षुओं ने संघमाता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सुभारती ग्रुप के प्रति संवेदनाएं प्रकट की।

वियतनाम बुद्धिस्ट विश्वविद्यालय के कुलपति व बौद्ध विद्वान डा. थिक ना थू ने कहा कि संघमाता डा.मुक्ति भटनागर ने भारत सहित दुनिया भर में बौद्ध धर्म के उत्थान हेतु महान कार्य किया है। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म की उद्गम स्थली भारत देश है और संघमाता ने बौद्ध धर्म के प्रारम्भिक तत्वों का संरक्षण करते हुए सुभारती गु्रप के माध्यम से भारत में इसका विस्तारीकरण किया है। उन्होंने कहा कि संघमाता का परिनिर्वाण सुभारती परिवार के साथ वियतनाम के लिये भी अपूरणीय क्षति है जिसे पूरा नही किया जा सकता है। उन्होंने सुभारती परिवार से डा. अतुल कृष्ण बौद्ध, डा.शल्या राज, डा. रोहित रविन्द्र, डा. कृष्णा मूर्ति, डा. आकांक्षा, अवनि, राहुल के लिये दुख की घड़ी में संयम व सहनशीलता हेतु प्रार्थना की।

सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण बौद्ध ने कहा कि वियतनाम बौद्ध संघ समेत वह विश्व बौद्ध समुदाय के ऋणी है। उन्होंने कहा कि शोक की घड़ी में जिस प्रकार विश्व बौद्ध समुदाय ने उन्हें साहस देते हुए तथागत बुद्ध की शिक्षाओं को आत्मसात करने का अवसर दिया है इससे वह निर्वाण की अनुभूति कर रहे है। उन्होंने कहा कि वह तथागत की शिक्षाओं के अनुपालन में अपने कष्टों पर नियंत्रण करते हुए समाज के दुखी व्यक्तियों की सेवा करने हेतु सदैव तत्पर हैं।

एमटीवी सुभारती ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. हिरो हितो ने कहा कि तथागत बुद्ध ने शोक से पीड़ित व्यक्ति को शान्ति और संयम का मार्ग दिखाकर सत्य कर्म की ओर प्रतिबद्ध होने का उपदेश दिया है ताकि वह जीवन के मूल उद्देश्यों से अवगत हो सकें। उन्होंने बताया कि वियतनाम के सबसे बड़े बौद्ध मंदिर ‘गिया होई फ़ा जियो‘ में वियतनाम बुद्धिस्ट विश्वविद्यालय के कुलपति व बौद्ध विद्वान डा. थिक ना थू ने महायानी परम्परा के अनुसार संघमाता के लिये विशेष प्रार्थना की है।

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