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Wednesday, August 25, 2021

दो दिनों के भीतर जेल की सलाख़ों में होगा कुख्यात पूर्व दर्जाधारी मनीष वर्मा

देहरादून का माफिया पूर्व दर्जाधारी मनीष वर्मा पत्नी व भाई को ट्रायल कोर्ट के समक्ष दो दिन के भीतर करना होगा आत्मसमर्पण


देहरादून। देहरादून का कुख्यात पूर्व दर्जाधारी मनीष वर्मा उसकी पत्नी नीतू वर्मा व उसके भाई संजीव वर्मा की जमानत अर्जी खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष दो दिन के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश पारित किया है। दिनांक 25 अगस्त 2021 की सुनवाई में कोर्ट ने कहा है कि जमानत अर्जी खारिज होने के आदेश की तिथि से दो दिन के भीतर मनीष वर्मा उसकी पत्नी नीतू वर्मा व उसके भाई संजीव वर्मा को ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करना होगा। अगर वह दो दिनों में आत्मसमर्पण नही करते है तो तीसरे दिन जांच अधिकारी बिना किसी रूकावट के तीनों अभियुक्तों को गिफ्तार कर लेंगे। माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद कुख्यात मनीष वर्मा के खे़मे में खलबली मच गई है। विदित हो कि माफिया मनीष वर्मा पर सुभारती ट्रस्ट से 30 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में उच्चतम न्यायालय में उपस्थित न होने के कारण उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखण्ड सरकार को आदेश दिया था  कि पूर्व दर्जाधारी मनीष वर्मा, पत्नी नीतू वर्मा व उसके भाई संजीव वर्मा के खिलाफ एक सप्ताह में एसीजेएम तृतीय देहरादून के न्यायालय में इन तीनों की जमानत खारिज करने के लिए आवेदन करें। उच्चतम न्यायालय ने एसीजेएम तृतीय को भी निर्देशित किया कि उक्त तीनों आरोपियों के खिलाफ 25 अगस्त से पहले फैसला लें। जिस पर निर्णय लेते हुए कोर्ट ने तीनों की जमानत निरस्त कर दी और दो दिनां के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश पारित किया है।

उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद देहरादून के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने राहत की सांस ली है। देहरादून के कई उद्योगपतियों ने नाम न खोलने की शर्त पर बताया कि मनीष वर्मा ने देहरादून में अपना अवैध रसूख दिखाकर लोगो को रौब में लेकर उनसे वसूली का काम शुरू कर रखा था और बड़े स्तर पर जिस्मफरोशी के धन्धे का मास्टर माइण्ड था। कुख्यात मनीष वर्मा के जेल जाने से भोले भाले व्यक्ति बिना डर के जी सकते है।

क्या है पूरा मामला
गत 14 मार्च 2012 को सुभारती ट्रस्ट न्यासी डॉ. अतुल कृष्ण ने थाना कैंट में एक रिपोर्ट दर्ज कराई जिसमें कहा गया कि मनीष वर्मा, उनकी पत्नी नीतु वर्मा व भाई संजीव वर्मा ने अपनी 100 बीघा जमीन के नकली कागज दिखा कर पैसे ले लिए। जब कागजों की जांच कराई गई तो 64.5 बीघे जमीन के कागज फर्जी पाए गए। कैंट थाने की जांच में भी 64.5 बीघे जमीन के कागज फर्जी पाए गए। जिसके बाद थाने ने उक्त तीनो आरोपियों के खिलाफ 420, 467, 468, 471 व 406 में मुकदमा दर्ज करते हुए 19.5.2014 को आरोप पत्र एसीजेएम तृतीय के न्यायलय में पेश किया।


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