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Friday, July 4, 2025

एमआईईटी मेरठ में पांच दिवसीय सेल कल्चर कार्यशाला सम्पन्न

बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में शोध रुचि को मिली गति, प्रतिभागियों ने सीखी उन्नत तकनीकें


मेरठ। मेरठ इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एमआईईटी) के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST-FIST) एवं एसीआईसी एमआईईटी फाउंडेशन के सहयोग से 25 से 29 जून 2025 तक पांच दिवसीय हैंड्स-ऑन "सेल कल्चर तकनीक" कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को एनिमल सेल कल्चर की सैद्धांतिक समझ के साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना था, जो आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी का एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

कार्यशाला का उद्घाटन सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SVPUAT) के एनिमल बायोटेक्नोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अमित कुमार बल्यान ने किया। उन्होंने बायोमेडिकल और फार्मास्यूटिकल साइंसेज़ में सेल कल्चर की बढ़ती भूमिका और शोध की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को सेल कल्चर के सिद्धांत, प्रयोगशाला सेटअप, सुरक्षा प्रोटोकॉल, मीडिया तैयारी, कोशिका पृथक्करण, रखरखाव एवं साइटोटॉक्सिसिटी परीक्षणों जैसे विविध पहलुओं पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। विशेष रूप से, सेल पासेजिंग, काउंटिंग और क्रायोप्रिज़र्वेशन जैसी प्रमुख तकनीकों पर विस्तृत अभ्यास कराया गया, जिससे प्रतिभागियों का आत्मविश्वास और तकनीकी कौशल उल्लेखनीय रूप से बढ़ा।

कार्यशाला का संचालन अनुभवी विशेषज्ञों द्वारा किया गया, जिन्होंने लाइव डेमोंस्ट्रेशन और व्यक्तिगत मार्गदर्शन के माध्यम से प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया। अंतिम दिन एमसीक्यू आधारित मूल्यांकन सत्र के माध्यम से प्रतिभागियों की सीख का आकलन किया गया। प्रतिभागियों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर भविष्य की कार्यशालाओं को और प्रभावी बनाने का लक्ष्य है।

समापन समारोह में प्रतिभागियों, प्रशिक्षकों एवं आयोजकों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। एमआईईटी के निदेशक डॉ. संजय कुमार सिंह ने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं शैक्षणिक ज्ञान और व्यावहारिक प्रयोगों के बीच की दूरी को पाटने का कार्य करती हैं, विशेष रूप से बायोसाइंसेज़ जैसे उभरते क्षेत्रों में।

कार्यशाला में उद्योग और अकादमिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया और इसकी सराहना की।
श्रेण्खला मानिक (उद्योग प्रतिनिधि) ने कहा, "यह एक उत्कृष्ट अवसर था। व्यावहारिक प्रशिक्षण ने मेरी प्रोफेशनल समझ को मजबूत किया।"
संध्या सिंह (PhD स्कॉलर, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार) ने कहा, "यह प्रशिक्षण शोध कार्य के लिए बेहद उपयोगी और अनुशंसनीय है।"
श्वेतांजली जायसवाल (उद्योग विशेषज्ञ) ने कहा, "प्रशिक्षकों ने कठिन विषयों को अत्यंत सरलता से समझाया, जिससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।"

इस कार्यशाला ने शोध छात्रों और पेशेवरों में बायोटेक्नोलॉजी के प्रति नई ऊर्जा और रुचि का संचार किया है, जो एमआईईटी की नवाचार और उच्च शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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