एआई आधारित विधि शिक्षा में नवाचारों के लिए वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय सम्मान
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस राकेश बिंदल ने वेंक्टेश्वरा को दिया ‘उत्कृष्ट विधि संस्थान’ सम्मान
मेरठ। वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय ने कानूनी शिक्षा के क्षेत्र में अपने नवाचारपूर्ण प्रयासों से राष्ट्रीय स्तर पर एक और उपलब्धि दर्ज की है। सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश माननीय जस्टिस राकेश बिन्दल एवं भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने विश्वविद्यालय को ‘उत्कृष्ट विधि संस्थान’ सम्मान से सम्मानित किया। यह सम्मान सर्वोच्च न्यायालय परिसर स्थित भारतीय विधि संस्थान में इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट एवं सर्वोच्च न्यायालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘रोले ऑफ़ एआई इन लीगल सिस्टम विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह–2025 में प्रदान किया गया।
संगोष्ठी के दौरान प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी को यह सम्मान प्रदान करते हुए जस्टिस राकेश बिन्दल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज के न्यायिक परिदृश्य की आवश्यकता तो है, लेकिन विधि छात्र, अधिवक्ता और न्यायालय इसे केवल ‘हेल्पिंग टूल’ के रूप में ही अपनाएं। उन्होंने साफ कहा कि “एआई को कभी भी मास्टर कोच या मानव मस्तिष्क का विकल्प नहीं माना जा सकता, क्योंकि कोई भी तकनीक इंसान के दिमाग से अधिक सुरक्षित और शक्तिशाली नहीं हो सकती।”
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय की पहल की सराहना करते हुए कहा कि देश के अन्य संस्थानों को भी कानूनी शिक्षा में नवाचारों को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे न्याय व्यवस्था अधिक त्वरित, सटीक और पारदर्शी बन सके। वेंक्टेश्वरा समूह के संस्थापक चैयरमेन डॉ सुधीर गिरी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश एवं अटॉर्नी जनरल जैसे शीर्ष पदाधिकारियों से सम्मान प्राप्त करना संस्थान के लिए गौरव की बात है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती माँ की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, जिसमें जस्टिस बिन्दल, अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी, इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ वीके आहूजा, शिक्षाविद् दिनेश रघुवंशी और डॉ. राजीव त्यागी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आशीष सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विकास वर्मा, विनोद कुमार गोयल और पूर्व न्यायाधीश पवन दुग्गल सहित कई प्रतिष्ठित विधि विशेषज्ञ भी मौजूद रहे।

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