- कवि सम्मेलन में चला कविताओं का जादू
- एक भारत श्रेष्ठ भारत थीम पर
हुआ युवा महोत्सव
कोलाहल का आगाज
न्यूज़ यूपी 24X7 |मेरठ| एमआईईटी में वार्षिकोत्सव कोलाहल-2020 का शुभारंभ किया गया । तीन दिन तक चलने वाले युवा महोत्सव कोलाहल का शुभारंभ चेयरमैन विष्णु शरण, वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल, डायरेक्टर डॉ.मयंक गर्ग, डीन एकेडमिक डॉ डीके शर्मा, डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ नितिन शर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। एक भारत श्रेष्ठ भारत थीम पर आधारित कार्यक्रम का आगाज सरस्वती वंदना, गणेश पूजा, और विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य की प्रस्तुति से हुई ।
छात्रों ने एक भारत श्रेष्ठ भारत थीम पर आधारित कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश, मेघालय,पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल,उत्तर प्रदेश आदि विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य प्रस्तुत कर अनेक राज्यों की संस्कृति को दर्शाया। इसके बाद छात्रों ने अपनी प्रस्तुति से कोलाहल को नए आयाम पर पहुंचा दिया।
युवा महोत्सव कोलाहल के प्रथम दिन आरोह में छात्र-छात्राओं ने एक से बढ़कर एक बॉलीवुड और हॉलीवुड के नए पुराने गीत म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट के साथ गाए और सभी गायकों ने धमाकेदार प्रदर्शन किया । गानों के बोल थे…. सुन रहा है ना तू………… तुझे कितना चाहने लगे हम……… तोसे नैना……. सूरज डूबा है यारों….. जैसे गाने से सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद रंगमंच में छात्र-छात्राओं ने विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर रंगमंच नाटक पेश किए ।
जिसमें छात्रों ने पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। देश के लिए मर मिटने वाले शहीद सैनिकों को याद किया। छात्रों ने रंगमंच नाटक के जरिए भारत की एकता, वृद्ध आश्रम, नशीले पदार्थों की लत, गांधीजी की विचारधारा के बारे में बताया ।
रात के कार्यक्रम कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी कविताओं का जादू चलाया। कवि सम्मेलन एवं ग़ज़ल, शायरी मुशायरे में श्रृंगार, ओज, व्यंग और हास्य रस का अद्भुत संगम हुआ। कवि राहत इंदौरी सहित देश के कोने-कोने से आए तमाम नामचीन कवि जैसे नरेश कात्यायन, हिमांशु बवंडर, सोनल जैन, प्रशांत अग्रवाल ने अपनी रचनाओं को प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी तो श्रोता भी देर रात तक तालियों की गड़गड़ाहट तथा वाह-वाह कर उनका उत्साहवर्धन करते रहे।
कवियों की कविताएं कुछ इस प्रकार थी…….
1.कवि राहत इंदौरी
अब ना मैं हूं ना बाकी है जमाने मेरे,
फिर भी मशहूर है शहरों में फंसाने मेरे,
जिंदगी है तो नए जख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी है कई दोस्त पुराने मेरे।
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है
बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं
2. कवि प्रशांत अग्रवाल
जमाने की खुशी सारी मेरी राहों में होती हैं,
तो शामिल आजकल मेरी सभी चाहो में होती है।
हमेशा नाज होता है, मुझे हर एक लम्हे पे,
तू जिसमें भूलकर दुनिया मेरी बाहों में होती है।
3.सोनल जैन
1. गीत अपने सुना कर चली जाऊंगी
मेरा दावा है अगर तुम सुनो ध्यान से
तुमको अपना बना कर चली जाऊंगी।
मैं नहीं छुप सकती बादलों में
उजाला बनकर रहती है मेरी अंखियों में
4. प्रशांत अग्रवाल
बर्फ गिरना मनाली में हो जैसे जून पर निर्भर
मनुष्य पूरा हो जैसे फक्त नाखून पर निर्भर
हजारों साल पहले के प्रभु श्री राम जी देखो
हैं 70 साल पहले के बने कानून पर निर्भर।
इस दौरान कोलाहल कोऑर्डिनेटर इस दौरान कोलाहल कोऑर्डिनेटर डॉ नितिन शर्मा, डॉ संदीप सिरोही, डॉ शैलेंद्र त्यागी, अजय चौधरी, विश्वास गौतम, श्रींजॉय बनर्जी, मधु सिंह, और छात्र कोऑर्डिनेटर मेहुल वार्ष्णेय, शांतनु शर्मा, निखिल, सत्यम, हिमांशु शुक्ला, एवं अन्य शिक्षक और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे ।
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