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Monday, July 27, 2020

भारतीय विज्ञान और तकनीकी वेदों पर हुआ व्यख्यान



न्यूज़ यूपी 24x7|मेरठ| संपादक अजय चौधरी|  शांति उपेंद्र फाउंडेशन फॉर डेवलपमेंट इनीशिएटिव संस्थान के तत्वाधान में अलभ्य भारत श्रृंखला  के अंतर्गत प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा (अध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग एवं निदेशक पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ व बाबू जगजीवन राम शोध पीठ चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय) ने भारतीय विज्ञान और तकनीकी वेदों से 18 वीं सदी तक भौतिकी विषय पर अपना तीसरा उद्बोधन एवं व्याख्यानमाला का 13वां व्यख्यान प्रस्तुत किया। 

प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने अलभ्य भारत ज्ञान श्रंखला के 13वें उद्बोधन में भारतीय विज्ञान और तकनीकी वेदों से 18 वीं सदी तक भौतिकी विषय पर बोलते हुए कहा कि भारतीय परंपरा में काल का महत्व बहुत व्यापक स्तर पर है जिसका अर्थ हमारे यहां समय से भी माना जाता है और मृत्यु से भी। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में कहा जाता है कि जिसने काल को जीत लिया उसने अमरत्व को प्राप्त कर लिया या कहे कि उसने् पूर्णत्व को प्राप्त कर लिया। 

आधुनिक विज्ञान के नैनो सेकंड से भी कम है जिसमें परमाणु को एक अणु के बराबर और तीन अणु को एक तीन त्रिसणो के बराबर और तीन त्रिसणो को एक त्रुटि के बराबर और सौ त्रुटि को एक वेद के बराबर और तीन वेद एक लब के बराबर तीन लव एक निमेष के बराबर और एक निमेष पांच क्षण के बराबर है इससे पता चलता है कि भारतीय विज्ञान परंपरा में काल का सूक्ष्मतम विभाजन किस हद तक किया गया है जिसके बारे में आधुनिक विज्ञान एवं पाश्चात्य जगत हमें नहीं बताता लेकिन भारत के ऋषि मुनियों ने  लाखों करोड़ों वर्षों के बारे में सटीक कालगणना युग मन्वंतर कल्प के माध्यम से की है। 

उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा यत पिंडे तद् ब्रह्मांडे की है अर्थात जो लोक में है वही ब्रह्मांड में है ब्रह्मांड 9 सांख्य 26 तत्वों से मिलकर बना है जिनके बारे में प्राचीन ग्रंथों एवं शास्त्रों में विस्तार पूर्वक बताया गया है। प्रो पवन शर्मा जी ने बताया के यह अफसोसजनक है कि पश्चिमी विद्वान अपने किताबों एवं शोध में भारतीय ज्ञान एवं विज्ञान का वर्णन करते है परंतु इसका श्रेय नही देते हैं। उन्होंने बताया की जो पश्चिमी विद्वानों जैसे फ्रिट्जोफ़ काप्रा की टाउ ऑफ फिजिक्स में ,स्टीफेन हॉकिन्स की ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम & ब्रीफ आंसर टू बिग क्वेश्चन, आनंद कुमार की डांस ऑफ शिवा, जैसी पुस्तकों में विवरण दिया गया है वह हज़ारों वर्ष पूर्व हमारे 11 विशेष उपनिषदों में वर्णित हैं परंतु कोई श्रेय नही दिया गया हैं।


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