न्यूज़ यूपी 24x7 | संपादक अजय चौधरी |
मेरठ। किसी भी समाज के निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका होती है क्योंकि शिक्षक ही समाज को सही दिशा देने की क्षमता रखता है | अपनी सृजनात्मक क्षमता के जरिये वह न सिर्फ समाज में क्रान्तिकारी बदलाव ला सकता है अपितु नवाचारों को स्थापित करके नये शैक्षिक वातावरण का निर्माण भी कर सकता है | उक्त उद्गार नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ० राजीव कुमार ने भारतीय शिक्षण मण्डल एवं नीति आयोग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘शैक्षणिक नेतृत्व’ विषयक वेबगोष्ठी के दौरान व्यक्त किये |
डॉ० कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-२०२० को क्रियान्वित करने के लिए एक जनान्दोलन की जरूरत है जो बिना शिक्षकों की सक्रीय भागीदारी के सम्भव नहीं है | इस अवसर पर डॉ० कुमार ने भारतीय शिक्षण मण्डल की सराहना करते हुए कहा कि शिक्षक को समाज में गौरव दिलाने में यह संगठन निरन्तर प्रयत्नशील है साथ ही मण्डल द्वारा भविष्य की कार्य योजनाओं के क्रियान्यवन में सहयोग की बात को भी रेखांकित किया |
वेब-गोष्ठी के दौरान भारतीय शिक्षण मण्डल के राष्ट्रीय महासचिव श्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि भारतीय शिक्षण मण्डल नीति आयोग के साथ मिलकर एक ऐसे शैक्षिक परिवेश के निर्माण में लगा है जिसके मूल में भारतीय संस्कृति हो एवं जिसमें भारतीयता का बोध निहित हो | इस अवसर पर प्रो० जोशी ने सर्वश्रेष्ठ बौद्धिक सम्पदा को प्रेरित करने की बात कही जिससे शिक्षण दायित्व के निर्वहन के लिए उन्हें प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जा सके | वेब-गोष्ठी का संचालन श्री महेश डाबक ने एवं धन्यवाद ज्ञापन श्री देवेन्द्र पवार ने किया |
इस
वेब-गोष्ठी में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से लगभग ३०० कुलपति ने हिस्सा लिया
| वेब-गोष्ठी के द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्यवन में शिक्षकों
की भूमिका पर कुलपतियों ने वैचारिक मंथन किया | इस दौरान नई शिक्षा व्यवस्था के लिए
दर्जनों सुझाव प्राप्त हुए जिसमें शिक्षकों का उन्मुखीकरण, ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत
शिक्षकों को तकनीकी से जोड़ने, भारतीय भाषा को समृद्ध करने वाले शिक्षकों को प्रोत्साहित
करने एवं भारतीय भाषाओँ में लेखन एवं शोध को बढ़ावा देने इत्यादि बिन्दुओं पर गम्भीर
रूप से चर्चा की गई |

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