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Monday, August 11, 2025

एमआईईटी, मेरठ में “स्पेस एक्सप्लोरेशन एंड एप्लिकेशन्स” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी

डॉ. विक्रम साराभाई की जयंती एवं राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग दिवस के अवसर पर आयोजित



मेरठ। मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एमआईईटी), मेरठ के सैट लैब एवं कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 12 अगस्त 2025 (मंगलवार) को “स्पेस एक्सप्लोरेशन एंड एप्लिकेशन्स” विषय पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम डॉ. विक्रम साराभाई की जयंती एवं राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग दिवस के अवसर पर आयोजित होगा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे— प्रो. (डॉ.) संजय एच. उपाध्याय, प्रोफेसर एवं प्रमुख, सेंटर फॉर स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (सीएसएसटी), आईआईटी रुड़की।

विशिष्ट वक्ताओं में शामिल हैं—

  • श्री ए. सी. माथुर — विजिटिंग प्रोफेसर, सीएसएसटी, आईआईटी रुड़की एवं पूर्व समूह निदेशक (सेवानिवृत्त), स्पेस एप्लिकेशन्स सेंटर (एसएसी), इसरो, अहमदाबाद; प्रबंध निदेशक, इंडियन स्पेस इंडस्ट्रीज एग्ज़िबिटर्स, अहमदाबाद।

  • डॉ. आलोक के. माथुर — पूर्व प्रमुख, कैलिब्रेशन एवं वैलिडेशन डिवीजन, एसएसी, इसरो, अहमदाबाद।

  • डॉ. भानु पंत — विजिटिंग प्रोफेसर, सीएसएसटी, आईआईटी रुड़की एवं पूर्व समूह निदेशक, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, इसरो।

कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियाँ
इस अवसर पर डॉ. विक्रम साराभाई के जीवन एवं योगदान, राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग दिवस और द्वितीय राष्ट्रीय स्पेस डे की महत्ता, आम जन के लिए सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग के उपयोग, उत्तरकाशी (5 अगस्त) की क्लाउडबर्स्ट घटना एवं निसार एप्लिकेशन्स, सीएसएसटी (आईआईटी रुड़की) के कार्य, अंतरिक्ष अन्वेषण तथा सैटेलाइट व रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोगों पर विशेष चर्चा होगी।

संगोष्ठी के उद्देश्य एवं संभावित परिणाम
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को इसरो की यात्रा, अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीक का भविष्य, और स्पेस सेक्टर में संभावनाओं के बारे में जागरूक एवं प्रेरित करना है। प्रतिभागियों को राष्ट्रीय स्पेस डे (23 अगस्त) के महत्व से भी अवगत कराया जाएगा, जो चंद्रयान-3 मिशन की सफलता की स्मृति में घोषित किया गया है।

सत्र के अंतर्गत प्रतिभागी:

  1. भारत के अंतरिक्ष मिशनों के बारे में जागरूक होंगे।

  2. राष्ट्रीय स्पेस डे एवं राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग दिवस का महत्व समझेंगे।

  3. भारत के चंद्रमा मिशनों की जानकारी प्राप्त करेंगे।

  4. आम जन के लिए सैटेलाइट एवं रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोगों को समझेंगे।

  5. विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में अवसरों से परिचित होंगे।

एमआईईटी प्रबंधन ने आशा व्यक्त की है कि यह कार्यक्रम युवाओं में अंतरिक्ष तकनीक और अनुसंधान के प्रति गहरी रुचि और नई ऊर्जा का संचार करेगा।


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