न्यूज़ यूपी 24X7|मेरठ| जम्मू-कश्मीर से धारा-370 खत्म करने के ऐतिहासिक फैसले से मेरठ कॉलेज का नाम भी जुड़ गया है। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल डॉ. सतपाल मलिक और वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल मेरठ कॉलेज के एल्युमिनी हैं। डॉ. सतपाल मलिक मेरठ कॉलेज में छात्रसंघ में दो बार अध्यक्ष रहे जबकि अजित डोभाल ने इस कॉलेज से स्नातक किया। जिस वक्त डोभाल ने मेरठ कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की उस वक्त यह आगरा विवि का हिस्सा था।
इस फैसले में केंद्र सरकार के साथ जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की भूमिका भी कम नहीं रही। दोनों ने ही अपने स्तर पर ऐतिहासिक फैसले को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जैसे ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में धारा-370 खत्म करने का ऐलान किया मेरठ कॉलेज के शिक्षकों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। शिक्षकों के अनुसार इस ऐतिहासिक फैसले और जम्मू-कश्मीर समस्या के समाधान पर जब भी बात होगी, मेरठ कॉलेज प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़ा रहेगा।
शिक्षकों के मुताबिक डॉ. सतपाल मलिक मेरठ कॉलेज में 60 के दशक में दो बार छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए। वह उस वक्त भी अपने कठोर फैसलों के लिए चर्चित थे। अब राज्यपाल के नाते उन्होंने कश्मीर में भी अपनी निर्णय क्षमता को साबित किया। इसी तरह अजित डोभाल मेरठ कॉलेज में ग्रेजुएशन के छात्र रहे हैं। शिक्षकों के अनुसार उस वक्त मेरठ कॉलेज आगरा विवि से संबद्ध था।
सैन्य अधिकारी जता चुके थे, राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत
सोमवार को केंद्र सरकार ने धारा-370 को खत्म करने का जो फैसला लिया वह राजनीतिक इच्छाशक्ति का श्रेष्ठ उदाहरण माना जा रहा है, लेकिन रिसर्च से जुड़े सैन्य अधिकारी अपनी पीएचडी में इसे बहुत पहले ही जता चुके हैं। मेरठ कॉलेज में सैन्य अध्ययन में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार के अनुसार इसी वर्ष 13 जुलाई को मेजर जनरल ओपी गुलिया ने 'कश्मीर समस्या एवं भारत-पाक संबंध' विषय पर अपनी पीएचडी पूरी की है। डॉ. संजय के मुताबिक अपनी रिसर्च में ओपी गुलिया ने कहा है कि कश्मीर समस्या का समाधान सेना के दम पर नहीं किया जा सकता। इसका समाधान राजनीतिक इच्छाशक्ति से किया जा सकता है। संजय के अनुसार थिसिस में जिस राजनीतिक इच्छाशक्ति की बात कही गई है, सोमवार को यह देखने को मिली।

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