- कोविड -19 की रिपोर्टिंग में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, विश्वसनीयता और
तथ्यपरकता की जरूरत है, न कि सनसनी फैलाने वाली भ्रामक सूचनाओं की - प्रोफेसर बंदना
पांडेय
- गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के जन संचार एवं मीडिया अध्ययन विभाग ने ' कोविड -19 विमर्श: महामारी का सामना ' विषय पर विभाग के पहले वेबिनार का आयोजन किया
न्यूज़ यूपी 24x7।ग्रेटर नोएडा। कोरोना
वायरस की विश्वव्यापी महामारी से निपटने के लिए और लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए
राष्ट्रीय लॉक डाउन का दूसरा चरण तीन मई तक के लिए घोषित किया गया है। संकट की इस घड़ी
में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा में ऑनलाइन माध्यमों से शिक्षण कार्य जारी
है और अत्याधुनिक संचार तकनीकों की सहायता से अनुसंधान और शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने
में सहायक वेबिनार का आयोजन भी किया गया। जीबीयू के जन संचार और मीडिया अध्ययन विभाग
की चेयरपर्सन और विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बंदना पांडेय की पहल पर विभाग ने आज ' कोविड -19 विमर्श : महामारी का सामना ' विषय
पर वेबिनार का आयोजन किया।
वेबिनार
के प्रथम सत्र में परिचय वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए जीबीयू के जन संचार और मीडिया अध्ययन
विभाग की चेयरपर्सन और विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बंदना पांडेय ने कहा कि विश्वव्यापी संक्रामक बीमारी के बारे में रिपोर्टिंग
के दौरान वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तैयार किए गए तथ्यपरक समाचार प्रसारित किए जाने चाहिए,
न कि सनसनीखेज और भ्रांति पैदा करने वाले सूचनाएं देना चाहिए। प्रोफेसर पांडेय ने कहा
कि कोविड 19 इतना गंभीर संकट है कि इसके बारे में हर तरह की सूचनाएं जानने के लिए लोग
उत्सुक हैं। पत्रकारों के लिए यह समय श्रेष्ठ पत्रकारीय मुल्यों और गुणवत्तापूर्ण रिपोर्टिंग
करने का एक अवसर है। कोरोनावायरस संक्रमण की रिपोर्टिंग में पत्रकारीय जिम्मेदारी का
ध्यान रखा जाना चाहिए और अस्पष्ट, भ्रामक और लोगों में पैनिक पैदा करने वाली सूचनाएं
नहीं दी जानी चाहिए। तथ्यपरक, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से युक्त और प्रभावी समाचार तभी
दिए जा सकते हैं, जब महामारी के विभिन्न पक्षों को समग्रता में जानकर, इसके सभी आयामों
के साथ विश्वसनीय स्रोतों द्वारा दिए गए इनपुट्स के आधार पर स्टोरी लिखी जाए। एक पत्रकार
को इस अभूतपूर्व दौर में स्रोतों की विश्वसनीयता, व्यापक संदर्भ सामग्री, विवेक और
वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रयोग करके ही रिपोर्टिंग करनी चाहिए।
प्रथम
सत्र की दूसरी वक्ता सेवानिवृत्त आईआईएस अधिकारी
और वरिष्ठ मीडिया कंसलटेंट एवं लेखिका डॉक्टर शालिनी नारायणन ने कोविड 19 के संकट और
सोशल मीडिया के संदर्भ में चुनौतियों और सरकार
के प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि व्यवहार परिवर्तन संचार के दृष्टिकोण से
देखें तो कोविड 19 सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। वर्तमान सरकार में शीर्ष नेतृत्व
स्तर से ही जनता से सीधे संवाद किया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी ने जब जनता कर्फ्यू
के लिए लोगों से कहा तब लोगों ने उसका पूरी तरह पालन किया और इस प्रकार से लॉक डाउन
को क्रियान्वित कर पाने का निर्णय लेने की पृष्ठभूमि बनी। लॉक डाउन का पालन करने के
लिए लोगों को प्रेरित करने में प्रधानमंत्री की भारत के लोगों में अत्यधिक लोकप्रियता
ने बहुत मदद की है। इसी तरह, समाज के स्तर पर भी कई चुनौतियां आई हैं। अत्याधुनिक संचार
तकनीकी वरिष्ठ नागरिकों के लिए इतनी आसान नहीं होती है जितना युवाओं के लिए, लेकिन
कोरोना संकट के कारण अत्याधुनिक संचार तकनीकी के प्रसार में लगने वाला समय घट गया है
और बहुत तेजी से इंटरनेट आधारित संवाद माध्यमों को लोगों ने अपनाया है। इन नए माध्यमों
को अपनाने के लिए इस संकट के दौरान लोग बाध्य
से हो गए हैं। अफवाहों को रोकने के लिए भी सरकार ने प्रेस सूचना ब्यूरो के अंतर्गत
फैक्ट चेकिंग यूनिट बनाई है।इस यूनिट में प्रतिदिन 1000 से अधिक सूचनाएं लोग जांच करने
के लिए भेज रहे हैं। यह दर्शाता है कि इस अभूतपूर्व
स्वास्थ्य संकट के दौर में झूठी जानकारियों, फेक खबरों और भ्रांतियों के प्रसार की
चुनौती बहुत गंभीर है।
दूसरे
सत्र के पहले वक्ता श्री अजय कुमार, मैनेजिंग
एडिटर, न्यूज़ नेशन नेटवर्क ने कोरोना वायरस महामारी के इस कठिन समय में न्यूज़ मीडिया
की स्थिति के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह समय हमारे सामने अनेकों चुनौतियों
और उन चुनौतियों का सामना करने में उठाए जाने वाले कदमों की कठिनाई का समय है। यह संक्रामक
बीमारी ऐसी है की सोशल डिस्टेंसिंग और साफ सफाई रखने के अतिरिक्त हम कुछ कर नहीं सकते।
वैक्सीन बनी नहीं है। यह महामारी इतनी जल्दी जाने वाली भी नहीं है न केवल स्वास्थ्य
क्षेत्र बल्कि अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर इस समस्या का गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
बहुत से उद्योग अत्यंत कठिन परिस्थिति का सामना करेंगे। यह 2008 की वैश्विक मंदी से
भी अधिक गंभीर समस्या अर्थव्यवस्था के लिए है। होना चाहिए कि हम संकट की घड़ी में एक
दूसरे के साथ खड़े हों। पूरा देश एक साथ मिलकर कोरोना वायरस महामारी के संकट का सामना
करे। इस समय सोशल मीडिया समाचार जानने के लिए
भी सबसे महत्वपूर्ण माध्यम बनकर उभरा है। अफवाहों के फैलने की समस्या के बारे में उन्होंने
कहा कि यह कमी हम संदेश प्राप्त करने वालों की है कि हम बिना जांच परख किए ही अपने
पास आने वाली सूचनाओं को सही मान लेते हैं उस पर भरोसा करके उसे आगे बढ़ा देते हैं।
द्वितीय
सत्र के दूसरे वक्ता श्री प्रदीप सुरीन, असिस्टेंट एडिटर, जी न्यूज डिजिटल ने मिसइंफॉर्मेशन
और मीडिया के स्व नियमन की चर्चा करते हुए कहा की वेब जर्नलिज्म में समय की कमी होती
है किसी के पास अफवाहों और गलत सूचनाओं को जांच परख कर सत्य तक पहुंचने के लिए श्रम
करने का समय नहीं होता। कई सूचनाएं ऐसी होती हैं जो व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे माध्यमों
पर आती हैं लेकिन उनकी विश्वसनीयता की जांच करना बहुत मुश्किल होता है। जो फेक कंटेंट
है, उस पर सामान्यता कोई न कोई फर्जी मुहर लगी होती है या किसी प्राधिकार का नकली हस्ताक्षर
होता है। आज कई प्रकार की फैक्ट चेक सेवाएं चल रही है।पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार
और विश्व स्वास्थ्य संगठन इस संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं। हम इनका उपयोग
कर सकते हैं। इंटरनेट पर बहुत से ऐसे एप्लीकेशन है जिन पर आने वाली सामग्री की विश्वसनीयता
की जांच का कोई प्रभावी तरीका नहीं है। इन एप्लीकेशंस को बहुत बड़ी संख्या में लोगों
ने डाउनलोड किया है। टिक टॉक का उदाहरण इस
संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
वेबिनर
के प्रथम सत्र में 70 प्रतिभागियों और द्वितीय सत्र में 75 प्रतिभागियों ने हिस्सा
लिया। कुल मिलाकर 145 प्रतिभागियों ने वेबीनार में हिस्सा लिया। प्रतिभागियों में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों - महात्मा गांधी
केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ, महर्षि
दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक, भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे, कुरुक्षेत्र
यूनिवर्सिटी, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार, माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय,
भोपाल मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर आदि के विद्यार्थी संकाय सदस्य और मीडिया कर्मी शामिल रहे।
यह
जीबीयू के जनसंचार एवं मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित पहला वेबिनार था। वेबिनार
के मुख्य संरक्षक गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय
के कुलपति प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा की निरंतर प्रेरणा और बहुमूल्य मार्गदर्शन और
स्कूल आफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज की डीन डॉक्टर नीति राणा के सहयोग से इस आयोजन में बहुत से अनुभवी
संकाय सदस्यों और पत्रकारों ने भागीदारी की।
कोविड 19 के
मीडिया से जुड़े आयामों को समझने के लिए के उद्देश्य से वेबिनार का आयोजन जनसंचार और मीडिया अध्ययन विभाग
की विभागाध्यक्ष और चेयरपर्सन प्रो. बंदना पांडेय के निर्देशन में पीएचडी रिसर्च स्कॉलर्स
संचिता चक्रवर्ती, श्वेता आर्य, मोनिका गौर, शालिनी,विनीत कुमार, गौरव शर्मा और शिवानंद के सहयोग से किया गया। वेबीनार में मॉडरेटर का दायित्व
विभाग के पीएचडी स्कॉलर विधांशु कुमार ने बखूबी निभाया। विभाग द्वारा जानकारी दी गई
है कि वेबीनर में शामिल प्रतिभागियों को ई - प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराए जाने की योजना
है।



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