- एमआईईटी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर तीन दिवसीय ई-एफडीपी का शुभारंभ
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति से 2 बिलियन डॉलर मुद्रा विदेश जाने से बचेगी - डॉ. विनीत कंसल
मेरठ। बागपत-बाईपास क्रॉसिंग स्थित मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग और एमआईईटी के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा तीन दिवसीय ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ किया गया। जिसका विषय "समग्र शिक्षा और संस्थागत रैंकिंग के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति" रहा। इस दौरान देश-विदेश से लगभग 1200 से अधिक शिक्षकों,वैज्ञानिकों,शिक्षाविद ने एफडीपी में पंजीकरण कराकर भाग लिया। ई-एफडीपी का शुभारंभ एमआईईटी के वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल,निदेशक डॉ मयंक गर्ग,मुख्य अतिथि डॉ. विनीत कंसल,विशिष्ट अतिथि डॉ वी.एस सपकाल, डीन एकेडमिक डॉ डीके शर्मा, एचओडी डॉ. अरुण वी पर्वते आदि ने संयुक्त रूप से किया।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्रो-वाइस-चांसलर डॉ. विनीत कंसल ने बताया कि शिक्षा का अन्तराष्ट्रीयकरण होने से विदेश में जाने वाले छात्र अब भारत में रह कर ही विदेशी शिक्षा प्राप्त कर सकेगे। जिससे करीब 2 बिलियन डॉलर का मुद्रा विनियम का लाभ होगा। वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा मे 50 प्रतिशत सकल नामंकन अनुपात का लक्ष्य है। साथ ही शिक्षकों के बारे में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में यह प्रावधान किया गया है, कि अगर कोई शिक्षक शिक्षा व नवाचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करता है तो उसे फास्ट्रेक पदोन्नती प्रदान की जायेगी। शोध को बढ़ावा देने हेतु एक राष्ट्रीय शोध संस्थान का भी इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रावधान किया गया है। अब ब्रेन ड्रेन की समस्या से नीजात पाया जा सकेगा। क्योकि विश्व के प्रथम 100 विदेशी विश्वविद्यालय हमारे देश मे आकार शिक्षा प्रदान करेगे। अब स्नातक कक्षाओं में प्रवेश हेतु एक ही परीक्षा होगी जो कि नेशनल टेस्टिग एजेन्सी द्वारा वर्ष में दो बार करायी जायेगी।
आरटीएम नागपुर विश्वविद्यालय नागपुर के पूर्व कुलपति डॉ वी.एस सपकाल ने विशेष संबोधन में कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी देश के शैक्षिक इतिहास में एक ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी कदम है। इस नीति के सफल क्रियान्वयन से देश के शैक्षिक व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव होंगें, जिससे देश महाशक्ति और विश्वगुरु बनने की राह पर तेजी से अग्रसर होगा। उच्च शिक्षा में मौजूद दशकों की विसंगतियों का निराकरण भी इस शिक्षा नीति के माध्यम से होगा। साथ ही व्यावसायिक और कौशल विकास पर ज़ोर देने से देश में बेरोज़गारी की समस्या का भी निराकरण होगा। यह नीति मौजूदा समय की जरूरतों के मुताबिक़ है। यह शिक्षा नीति 21वीं सदी के युवाओं की सोच, जरूरतों, उम्मीदों और आकांक्षाओं के साथ साथ 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब भी है। आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि आने वाला समय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को व्यवहारिक रूप में बदलता देख पायेगा, जिससे ‘नए भारत’ की संकल्पना यथार्थ रूप ले पाएगी।
इस दौरान सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर शुभम चौरसिया, अनुप्रेक्षा चौधरी, अवनी, दिलीप कुमार रावत, विश्वास गौतम और अजय चौधरी मौजूद रहे।

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