उद्योग और शैक्षणिक संस्थान के सहयोग से छात्रों को मिलेगा व्यावसायिक अनुभव, भविष्य की तकनीकों पर कार्य का अवसर
मेरठ। मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एमआईईटी) और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के क्षेत्र में कार्यरत प्रतिष्ठित कंपनी ईवी सपोर्ट सिस्टम्स (EV Support Systems) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की तकनीक पर आधारित इनोवेटिव और रिसर्च-ओरिएंटेड प्रोजेक्ट्स में आपसी सहयोग को सुदृढ़ करना है।
इस अवसर पर एमआईईटी के कैंपस डायरेक्टर प्रोफेसर (डॉ.) संजय कुमार सिंह और ईवी सपोर्ट सिस्टम्स के मैनेजिंग डायरेक्टर नितिन शर्मा ने एमओयू पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए। इस दौरान डॉ. संजीव सिंह, डॉ. रोहित अग्रवाल, डॉ. विनीत कुमार और प्रवीण कुमार चक्रवर्ती सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे।
प्रमुख उद्देश्य
इस समझौते के अंतर्गत एक ऐसा ढांचा विकसित किया जाएगा जिसके माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों की अत्याधुनिक तकनीकों पर आधारित समस्याओं का समाधान, अनुसंधान और प्रोटोटाइप निर्माण किया जा सकेगा। जहां एक ओर ईवीएसएस कंपनी उद्योग से जुड़ी वास्तविक समस्याएं, तकनीकी आवश्यकताएं और मार्गदर्शन प्रदान करेगी, वहीं एमआईईटी शिक्षकों और छात्रों की एक योग्य टीम के साथ-साथ प्रयोगशालाएं, तकनीकी संसाधन और शोध सुविधाएं उपलब्ध कराएगा।
सहयोग का व्यापक दायरा
एमओयू के तहत तीन मुख्य क्षेत्रों में सहयोग सुनिश्चित किया गया है:
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प्रोजेक्ट परिकल्पना और परिभाषा
ईवीएसएस कंपनी इलेक्ट्रिक व्हीकल टेक्नोलॉजी से जुड़े विचार, समस्या कथन और आवश्यकताएं साझा करेगी। इनमें वाहन के विभिन्न कंपोनेंट्स, बैटरी प्रबंधन प्रणाली, चार्जिंग नेटवर्क, सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस आदि से जुड़ी परियोजनाएं सम्मिलित हो सकती हैं। एमआईईटी इन प्रस्तावों की व्यवहारिकता का मूल्यांकन कर उन्हें कार्यान्वयन योग्य स्वरूप में ढालेगा।
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संसाधन और तकनीकी सहयोग
एमआईईटी इन परियोजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए एक समर्पित टीम नियुक्त करेगा, जिसमें अनुभवी फैकल्टी मेंटर्स और तकनीकी रूप से दक्ष विद्यार्थी शामिल होंगे। साथ ही संस्थान अपने अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं, डिवेलपमेंट टूल्स, कंप्यूटिंग संसाधन और अन्य तकनीकी सुविधाएं परियोजना टीम को उपलब्ध कराएगा। ईवीएसएस समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन, रियल-वर्ल्ड डेटा (यदि उपलब्ध हो), और विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण की व्यवस्था करेगा।
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कार्यान्वयन और मूल्यांकन
दोनों संस्थान मिलकर परियोजना की समयबद्ध रूपरेखा तैयार करेंगे और संयुक्त रूप से नियमित अंतराल पर समीक्षा बैठकें आयोजित कर कार्य प्रगति का मूल्यांकन करेंगे। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि परियोजना निर्धारित उद्देश्यों के अनुसार गुणवत्ता और समयबद्धता के साथ आगे बढ़े।
बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)
इस समझौते के अंतर्गत विकसित की गई सभी बौद्धिक संपदाएं जैसे—सॉफ्टवेयर कोड, तकनीकी डिज़ाइन, डॉक्युमेंटेशन आदि, दोनों संस्थानों की संयुक्त संपत्ति मानी जाएगी। यदि किसी परियोजना का व्यवसायिक उपयोग किया जाता है, तो उससे प्राप्त होने वाले राजस्व और लाइसेंसिंग शर्तों को एक अलग समझौते के माध्यम से निर्धारित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, एमआईईटी को अपने शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए उक्त संसाधनों के उपयोग की अनुमति पूर्व लिखित सहमति के साथ दी जा सकती है।
छात्रों को मिलेगा औद्योगिक अनुभव
यह साझेदारी छात्रों के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आई है। उन्हें न केवल इलेक्ट्रिक व्हीकल टेक्नोलॉजी की वास्तविक समस्याओं पर काम करने का मौका मिलेगा, बल्कि वे उद्योग के विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकेंगे। इससे छात्रों की तकनीकी समझ और नवाचार क्षमता में वृद्धि होगी, साथ ही भविष्य के रोजगार या स्टार्टअप संभावनाओं के लिए भी वे बेहतर रूप से तैयार होंगे।
देश के ई-मोबिलिटी मिशन को मिलेगा बल
भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। ऐसे में यह एमओयू न केवल एक संस्थागत सहयोग का प्रतीक है, बल्कि यह देश के ई-मोबिलिटी मिशन में भी एक सकारात्मक योगदान देगा। तकनीकी संस्थान और उद्योग के बीच यह समन्वय देश में स्वदेशी तकनीकों के विकास और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
प्रबंधन का दृष्टिकोण
एमआईईटी प्रबंधन ने इस सहयोग को संस्थान के शोध, नवाचार और इंडस्ट्री-इंस्टीट्यूट इंटरफेस को सशक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम बताया है। प्रबंधन का मानना है कि इस प्रकार के समझौते छात्रों के व्यावसायिक विकास के साथ-साथ संस्थान की अकादमिक प्रतिष्ठा को भी ऊंचाई देंगे।
ईवी टेक्नोलॉजी जैसे उभरते हुए क्षेत्र में एमआईईटी और ईवी सपोर्ट सिस्टम्स का यह संयुक्त प्रयास न केवल शैक्षणिक जगत में एक नया मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि देश के तकनीकी विकास की गति को भी सशक्त करेगा। यह एमओयू एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे शैक्षणिक संस्थान और उद्योग एक साथ मिलकर समाज को नवाचार और तकनीकी प्रगति की दिशा में ले जा सकते हैं।
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