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Wednesday, July 17, 2019

एमआईईटी में भविष्य संचार और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी पर हुआ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन पुस्तक का विमोचन करते अतिथि

राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रों पर शिक्षाविदों ने दिया व्याख्यान

बागपत बाईपास क्रॉसिंग स्थित मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एमआईईटी) में भविष्य संचार और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के महाप्रबंधक विनय मंगल, विशिष्ट अतिथि एकेटीयू के सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडी के निदेशक डॉ मनीष गौर, एनआईटी उड़ीसा के प्रोफेसर डॉ सिंघम जयन्थु, टीसीएस कंपनी के साइबर सिक्योरिटी हेड प्रसेनजित दास, चेयरमैन एमआईईटी ग्रुप विष्णु शरण ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की पुस्तक का विमोचन किया गया ।



इंजिनियर्स इंडिया लिमिटेड के महाप्रबंधक विनय मंगल ने सभी शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के पास उद्योग 4.0 यानी चौथी औद्योगिक क्रांति के रूप में एक बड़ा अवसर मौजूद है, लेकिन उसके लिये नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने और त्वरित रूप से एक सुलभ और सुगम नीतिगत रूपरेखा तैयार करने की जरूरत है। चौथी औद्योगिक क्रांति “स्मार्ट फैक्ट्री”के कार्य करने के दृष्टिकोण को आसान बनाता है । उद्योगों में बहुत सारे समकालीन स्वचालन,डाटा एक्सचेंज तथा निर्माण तकनीकों को एक साथ सम्मिलित कर कार्य करता है । इस लिए चौथी औद्योगिक क्रांति से भारत में बड़े पैमाने पर अवसर पैदा होंगे।


एकेटीयू के सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडी के निदेशक डॉ मनीष गौर ने कहा कि आज के दैनिक जीवन में डिजिटल तकनीक को अपनाने से कोई अछूता नहीं है। अगर एक दिन इंटरनेट बंद कर दिया जाये तो बहुत से काम भी रुख जाते है।  तकनीक का खेल भविष्य में वर्चुअल हो जाएगा। बेतार तकनीक पिछले पचीस बरस में कदम बढ़ा कर ब्लैक बोर्ड और चाक से अब वर्चुअल क्लासेज तक पहुंच गई है। इसने कार्यालयों में फाइलों के बोझ को नन्ही पेन ड्राइव में बदल दिया है। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कभी मनुष्य इंटेलिजेंस से बराबरी नहीं कर सकती और ऐसी क्रम में शोधकर्ता एवं इंजीनियर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मानव इंटेलिजेंस से बराबरी करने में मशक्कत करते हैं।

टीसीएस कंपनी के साइबर सिक्योरिटी हेड प्रसेनजित दास ने साइबर सुरक्षा के बारे में बताते हुए कहा की ,जिस तरह से साइबर खतरों की गति बढ़ती जा रही है, उसी तरह लोगों की इन हमलों से बचने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। आज के समय में कम से कम 1 मिल्यन नौकरियाँ साइबर सुरक्षा के लिए पूरे विश्व में खाली है। आईटी प्रोफेशनल और कम्प्युटर विशेषज्ञ इस तरह की साइबर सुरक्षा की नौकरियों के लिए जा सकते हैं।


कॉन्फ्रेंस संयोजक योगेंद्र कुमार प्रजापति ने बताया कि सम्मेलन में ताईवान, रशिया, जापान, कोरिया जैसे देशों सहित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय 150 से अधिक शोध-पत्र सम्मिलित हुए हैं। जिन पर शिक्षाविद व्याख्यान देंगे।


इस दौरान वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल, महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल जेएम गर्गा, निदेशक डॉ मयंक गर्ग, डीन एकेडमिक प्रोफेसर डीके शर्मा, विभागाध्यक्ष डॉ प्रदीप पंत, मुकेश रावत, अंकुर गर्ग, डॉ विमल कुमार, पुनीत मित्तल आदि मौजूद रहे।

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