प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी ने कहा कि संविधान में निहित शिक्षा का अधिकार (राइट टू एजुकेशन) ने गरीब से गरीब परिवार के बच्चों को महंगे पब्लिक स्कूलों में मुफ्त शिक्षा पाने का अवसर दिया है। समानता और स्वतंत्रता जैसे अधिकारों ने आम नागरिक को भी समाज में समान स्थान दिलाया है।
स्कूल ऑफ लॉ के प्रो. राजवर्धन सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान की ताकत यह है कि प्रधानमंत्री और एक आम नागरिक के वोट की ताकत समान है। यह भारतीय लोकतंत्र का असली सार है, जो इसे विश्व के अन्य देशों से अलग बनाता है।
कुलपति प्रो. कृष्ण कान्त दवे ने कहा कि संविधान दिवस केवल अधिकारों को जानने का अवसर नहीं है, बल्कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने का संकल्प भी लेना चाहिए। उन्होंने कहा, “संविधान ने हमें अधिकार तो दिए हैं, लेकिन देश के प्रति हमारी जिम्मेदारियां भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।”
कार्यक्रम के दौरान कुलसचिव डॉ. पीयूष पांडेय ने उपस्थित छात्रों और शिक्षकों को संविधान के मूल्यों का पालन करने और इसके प्रति निष्ठा बनाए रखने की शपथ दिलाई।
संगोष्ठी में लॉ विभाग के डॉ. राजवर्धन सिंह, डॉ. मधु चतुर्वेदी और अन्य वक्ताओं ने संविधान की शक्ति, इसकी प्रासंगिकता और इसके द्वारा प्रदान किए गए अधिकारों की महत्ता पर विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि संविधान केवल अधिकारों का ही संरक्षक नहीं है, बल्कि यह नागरिकों के कर्तव्यों की भी स्पष्ट व्याख्या करता है। कार्यक्रम में डॉ. टी.पी. सिंह, डॉ. दिव्या गिरधर, डॉ. आशुतोष सिंह, डॉ. योगेश्वर सिंह, मीडिया प्रभारी विश्वास राणा और अन्य गणमान्य लोग शामिल रहे।
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