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Friday, December 6, 2024

एमआईईटी में हर्बल औषधियों और वनस्पति विज्ञान पर राष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य उद्घाटन

औषधीय पौधों पर वैश्विक शोध की आवश्यकता: डॉ. जयंती ए.

मेरठ। एमआईईटी के फार्मास्युटिकल टेक्नोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी विभागों द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड, नई दिल्ली के सहयोग से हुआ। इस सम्मेलन का विषय "हर्बल मेडिसिन और बॉटनिकल्स का नियामक परिदृश्य—कोविड-19 महामारी के बाद व्यापार और विकास पर प्रभाव" रहा।

सम्मेलन का उद्घाटन

मुख्य अतिथि डॉ. जयंती ए. (प्रधान वैज्ञानिक, आयुष मंत्रालय), डॉ. अनुपम मौर्य (वैज्ञानिक, आयुष मंत्रालय), डॉ. हिमांशु तिवारी (प्रेसिडेंट, कर्मा आयुर्वेद), और एमआईईटी के निदेशक डॉ. एस.के. सिंह ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

प्रतिभागियों और शोध कार्यों की भूमिका

सम्मेलन में देशभर के 400 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। शोधार्थियों ने 150 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए, जिनमें औषधीय पौधों की गुणवत्ता और उनके औषधीय उपयोग पर विस्तृत अध्ययन शामिल था। इस अवसर पर सम्मेलन पत्रिका का विमोचन भी किया गया।

डॉ. जयंती ए. के विचार

डॉ. जयंती ए. ने औषधीय पौधों के संरक्षण और उनकी गुणवत्ता सुधार को आधुनिक समय की आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि अधिक शोध से इन पौधों की उपयोगिता बढ़ेगी, जो बीमारियों से बचाव और परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों को प्रोत्साहन देगा। उन्होंने औषधीय पौधों पर वैश्विक स्तर पर अनुसंधान को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया।

विशेषज्ञों की चर्चा

चार सत्रों में देशभर के विशेषज्ञों ने औषधीय पौधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। इनमें शामिल थे:

  • डॉ. वी.बी. गुप्ता (संस्थापक, मूड फॉरेस्ट)
  • डॉ. अनूप कुमार (एसोसिएट प्रोफेसर, दिल्ली इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज एंड रिसर्च)
  • डॉ. हिमांशु शर्मा (हेड, रेगुलेटरी एसेंशियल रूट्स प्राइवेट लिमिटेड)
  • डॉ. जयंती ए.

आयोजन समिति का योगदान

इस सफल आयोजन में डॉ. आलोक शर्मा (आयोजन सचिव), डॉ. अनुराग (सह-आयोजन सचिव), डॉ. संजीव सिंह (डीन), डॉ. विपिन कुमार गर्ग (प्रिंसिपल फार्मेसी), डॉ. अविनाश सिंह, डॉ. नीरज कांत शर्मा, और अजय चौधरी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

निष्कर्ष

इस राष्ट्रीय सम्मेलन ने औषधीय पौधों पर शोध और उनके संरक्षण की दिशा में नई संभावनाओं को उजागर किया। विशेषज्ञों ने इसे चिकित्सा और समाज के लिए एक निर्णायक पहल करार दिया।

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