- सीएए, एनआरसी एवं एनपीआर के संबंध में पूर्वोत्तर के छात्रों ने की सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण बौद्ध से वार्ता
- सीएए एवं एनआरसी से पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक विरासत पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा - डा. अतुल कृष्ण बौद्ध ने विश्वास व्यक्त किया
न्यूज़ यूपी 24X7 |मेरठ| स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति सभागार में सीएए, एनआरसी एवं एनपीआर के संबंध में पूर्वोत्तर राज्यों से सुभारती विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे छात्र छात्राआ के साथ बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण बौद्ध के द्वारा की गई। बैठक में नागरिकता संशोधन अधिनियम, एनआरसी एवं एनपीआर के विषय पर असम, मणिपुर, नागालैण्ड, मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश आदि पूर्वोत्तर राज्यों के सभी छात्र छात्राओं को विस्तृत जानकारी दी गई एवं इस विषय के संबंध में छात्र छात्राओं को अपने विचार रखने के लिये भी आमंत्रित किया गया। बैठक में असम, मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश के छात्र छात्राओं ने विशेष रूप से अपने विचार रखे जिस पर अन्य राज्यों के छात्र छात्राओं ने सहमति जताई।
असम के छात्र योसोन ने कहा कि असम की समस्या यह है कि वहां पचास प्रतिशत से अधिक बाहर के लोग आए हुए हैं, जिससे असम के मुख्य स्थानों पर उनका कब्जा हो चुका है, व्यापार, नौकरियां इत्यादी उनके अधीन है इससें एक ओर असम के मूल निवासियों को नौकरियां एवं अन्य संसाधनों से वंचित होना पड़ रहा है तो दूसरी ओर असम की सांस्कृतिक विरासत भी नष्ट हो रही है।
छात्रा एन्नी सेकिया ने कहा कि असम में एक लम्बे संघर्ष के बाद एनआरसी तो लागू किया गया परन्तु उसे सही रूप से लागू नहीं किया गया व सही लोगों को इसमें चिन्हित नहीं किया गया तथा जिन्हें चिन्हित किया गया उनको वहां से विस्थापित करने के लिये कोई पुख्ता योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि एनआरसी लागू होने के बाद भी स्थिति जैसी की तैसी ही है।
अरूणाचल प्रदेश के छात्र टूमकैन पोटोम ने कहा कि जिन स्थानों पर इनर लाईन परमिट की व्यवस्था लागू है वह भी मात्र दिखावे के लिये है जिसमें इनर लाईन की व्यवस्था को सुद्रढता व सख्ती से लागू किये जाने की आवश्यकता है।
छात्रा लिलि परमावी ने कहा कि अभी तक हमारे पास जो भी सूचनाएं है वे केवल समाचार पत्रों में पढ़कर व टीवी एवं सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे संदेशों के आधार पर है। आज पहली बार किसी ने उन्हें इन विषयों की पूर्ण जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि सुभारती लॉ कॉलिज के विधि विशेषज्ञ गहराई से अध्ययन करके छात्रों का और अधिक मार्गदर्शन करें। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सुभारती विश्वविद्यालय से एक प्रतिनिधि मण्डल पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा करके वहां के लोगों से बातचीत करे और उनके मन की बात को जाने। इन विचारों से सभी प्रदेशें के छात्रों ने सहमति जताई व सभा के अंत में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि यदि सीएए लागू करने के बाद जिन लोगों को भी भारत की नागरिकता दी जाए उन्हें अवैध रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में स्थापित न किया जाए तो पूर्वोत्तर राज्यों के नागरिक सीएए एवं एनआरसी से सहमत है।
सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण बौद्ध ने कहा कि सीएए व एनआरसी लागू करने में भारत सरकार को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए बल्कि देश की जनता को पहले अपने विश्वास में लेकर यह वादा करना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति के साथ विश्वासघात नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय सीएए, एनआरसी व एनपीआर के विषय पर लगातार कार्यशाला, सेमिनार आदि आयोजित कर रहा है तथा उक्त अधिनियम के विधिक पहलूओं का विश्लेषण करके अपने छात्र छात्राआें सहित देशभर के सभी लोगो को इसके प्रति जागरूकता भी दे रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह लोग सीएए व एनआरसी का विरोध कर रहे है ऐसे में सरकार को चाहिए कि लोगो की बात को सुने और जनता को विश्वास में लेकर ठोस कदम उठाए। उन्होंने कहा कि सीएए, एनआरसी एवं एनपीआर देश के लिए आवश्यक है और उन्हें अतिशीघ्र संजीदगी के साथ लागू करने की आवश्यकता है।
सभा के अंत में पूर्वोत्तर राज्य, छात्र सैल के निदेशक डा. नवीन चन्द्रा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आश्वासन दिया कि सुभारती विश्वविद्यालय सरकारी अधिकारियां से इस विषय पर चर्चा करके तह तक जाने का प्रयत्न करेगा व छात्रों की भावनाओं को भी सरकार के अधिकारियों से अवगत कराया जाएगा।
इस मौके पर मीडिया मैनेजर अनम शेरवानी, अनिल भारती, शम्मी सक्सेना, पंकज कुमार आदि सहित पूर्वोत्तर राज्यों के लगभग पचास छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।



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