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Tuesday, August 12, 2025

एमआईईटी में ‘अंतरिक्ष अन्वेषण एवं अनुप्रयोग’ पर संगोष्ठी

डॉ. विक्रम साराभाई जयंती, राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस और राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग दिवस पर विशेष कार्यक्रम



मेरठ। मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एमआईईटी) में डॉ. विक्रम साराभाई की जयंती, राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस एवं राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग दिवस के अवसर पर “अंतरिक्ष अन्वेषण एवं अनुप्रयोग” विषय पर एक दिवसीय जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना के साथ हुई, जिसके पश्चात निदेशक डॉ. संजय कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।

संगोष्ठी का आयोजन सैटलैब और एसीआईसी एमआईईटी ने भारतीय अंतरिक्ष उद्योग प्रदर्शक संघ (आईएसआईई), गाजियाबाद तथा सेंटर फॉर स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, आईआईटी रुड़की के सहयोग से किया।

निदेशक डॉ. संजय कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. विक्रम साराभाई जैसे दूरदर्शी नेताओं ने भारत को वैज्ञानिक ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने सैटलैब एमआईईटी की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि यह मंच छात्रों को सैटेलाइट टेक्नोलॉजी, रिमोट सेंसिंग और स्पेस एप्लीकेशन में व्यावहारिक अनुभव प्रदान कर रहा है।

मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. संजय एच. उपाध्याय, प्रमुख, सीएसएसटी, आईआईटी रुड़की ने अंतरिक्ष स्थिरता, मलबा प्रबंधन, और अंतरिक्ष में मानव शरीर के अनुकूलन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपग्रह आधारित पृथ्वी अवलोकन, आपदा प्रबंधन, संसाधन निगरानी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की महत्ता को रेखांकित करते हुए छात्रों को इसरो और आईआईटी रुड़की में उपलब्ध करियर अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।

तकनीकी सत्र में डॉ. आलोक माथुर, पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, एसएसी, इसरो ने कृषि, मौसम विज्ञान, समुद्र विज्ञान और आपदा प्रबंधन में सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोग बताए। उन्होंने 5 अगस्त 2025 की प्राकृतिक आपदा के उदाहरण से बताया कि किस प्रकार उपग्रह आंकड़ों ने त्वरित राहत व पुनर्वास में मदद की। साथ ही, नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) मिशन की उपयोगिता पर भी चर्चा की।

डॉ. भानु पंत, विजिटिंग प्रोफेसर, सीएसएसटी, आईआईटी रुड़की ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत से लेकर चंद्रयान, मंगलयान और गगनयान तक की उपलब्धियों का रोचक विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान एक बहुविषयक क्षेत्र है, जो इंजीनियरिंग, भौतिकी, जीवन विज्ञान और नवाचार को एक साथ जोड़ता है।

ए.सी. माथुर, पूर्व ग्रुप निदेशक, इसरो ने समापन सत्र में डॉ. विक्रम साराभाई के जीवन व विचारों पर प्रकाश डालते हुए इसरो की स्थापना से लेकर चंद्रयान तक की यात्रा का उल्लेख किया। उन्होंने छात्रों से नवाचार व समर्पण के साथ भारत के अंतरिक्ष मिशन को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।

संगोष्ठी में जलवायु निगरानी, चक्रवात पूर्वानुमान, सैटेलाइट इमेजिंग और इनके सामाजिक एवं राष्ट्रीय महत्व पर विस्तार से चर्चा हुई। कार्यक्रम का संचालन सैटलैब टीम ने संयोजक डॉ. अनुराग एरोन के मार्गदर्शन में किया।

इस अवसर पर डॉ. संजीव सिंह (डीन अकादमिक), डॉ. विनीत अग्रवाल (डीन फर्स्ट ईयर), प्रो. मुकेश रावत, प्रो. रामबीर सिंह (हेड एआई-एमएल), डॉ. स्वाति शर्मा (हेड आईटी), डॉ. सुभाष कुमार (हेड ईसीई), रजिस्ट्रार संजीव वशिष्ठ और अजय चौधरी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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